नन्हे बच्चों का रेप किया तो दवाएं देकर सरकार 'नामर्द' बना देगी, जिससे यौन उत्तेजना न हो

अमेरिका के एक राज्य में ऐसा कानून लागू किया गया है. क्या ये सही फैसला है?

अमेरिका में एक राज्य है. एलबामा. अभी हाल में सुर्ख़ियों में आया था क्योंकि 15 मई को वहां एक ऐसा बिल साइन हुआ जिसने गर्भपात को अवैध करार दिया था. ये सबसे कड़े कानूनों में से एक है. इसमें प्रेग्नेंट महिला/लड़की को एबॉर्शन की इजाज़त नहीं है. किसी भी हालत में नहीं. भले ही रेप से ही प्रेग्नेंसी क्यों न हुई हो. और जो डॉक्टर एबॉर्शन करेगा, उसे उम्रकैद की सजा मिलेगी. केवल एक हाल में एबॉर्शन की इजाज़त है, वो तब जब प्रेगनेंट महिला की जान को खतरा हो. इसे लेकर काफी विरोध हुआ, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों ने इसकी आलोचना की. अभी भी इस पर बहस चल रही है. अमेरिका के कई दूसरे राज्यों में भी ऐसे बिल साइन हुए हैं. ये कानून बन गए तो कई महिलाएं सुरक्षित गर्भपात के ऑप्शन से चूक जाएंगी.

अभी एलबामा फिर सुर्ख़ियों में है. क्यों?

क्योंकि यहां एक कानून बना है. पेडोफ़ाइल्स (बच्चों के साथ सेक्स करने वाले अपराधी) से जुड़ा. इस कानून के तहत कुछ पेडोफ़ाइल्स को केमिकल कैस्ट्रेशन करवाना होगा.

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केमिकल कैस्ट्रेशन क्या होता है, पहले ये समझ लीजिए.

पुरुषों में एक हॉर्मोन होता है. टेस्टोस्टेरॉन. ये उनकी सेक्स ड्राइव कंट्रोल करता है. यानी यौन उत्तेजना/सेक्स करने की इच्छा. केमिकल इंजेक्शन/टैबलेट की सहायता से इसे कम किया जाता है. पुरुषों को फीमेल हॉर्मोन दिए जाते हैं. टेस्टोस्टेरॉन कम होने से उनकी सेक्स करने की इच्छा कम होती जाती है.

बीबीसी के अनुसार जो भी अपराधी 13 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ यौन अपराध के दोषी हैं. उनको परोल पर जाने से एक महीने पहले से ही सेक्स ड्राइव कम करने की दवा देना शुरू किया जाएगा. कोर्ट डिसाइड करेगा कि इसे कब रोका जाए. इस पूरे प्रोसीजर के पैसे अपराधी को अपनी जेब से देने होंगे. अगर वो इसे अफोर्ड करने की हालत में नहीं है, तो स्टेट अपनी तरफ से ये प्रोसीजर करवाएगा.

सिर्फ एलबामा ही अमेरिका का ऐसा राज्य नहीं है जहां इस तरह का प्रावधान है. कैलिफोर्निया, मोंटाना, लुइज़ियाना, ऑरेगॉन, फ्लोरिडा राज्यों में भी केमिकल कैस्ट्रेशन का प्रावधान है.  पोलैंड, साउथ कोरिया, रशिया, इंडोनेशिया में भी केमिकल कैस्ट्रेशन सजा का हिस्सा है.

ऐसा नहीं  है कि हर कोई इस तरह के कानून के समर्थन में है. अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन ऑफ एलबामा के एग्जीक्यूटिव डिरेक्टर रैंडल मार्शल ने AL.com को बताया कि

‘ये साफ़ नहीं है कि इसका कोई असर है या नहीं और ये मेडिकल तौर पर साबित किया भी गया है या नहीं. जब राज्य अपने लोगों पर प्रयोग (एक्सपेरिमेंट) करने लगे तो मुझे लगता है कि ये संविधान के खिलाफ जाता है’.

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अमेरिका में दो मुख्य पार्टियां हैं. डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन. जैसे अपने देश में हैं कांग्रेस और भाजपा. इसे एग्जांपल की तरह लीजिए. एलबामा रिपब्लिकन पार्टी के कंट्रोल में है. अब रिपब्लिकन पार्टी जो है, वो है कंजर्वेटिव. याने कि ट्रेडिशनल. वैसे कंजर्वेटिव नाम की पार्टी ब्रिटेन में भी है. पॉलिटिक्स में कंजर्वेटिज्म एक पूरी अलग आइडियोलॉजी है. लेकिन इसे ऐसे समझिए कि जो रिपब्लिकन पार्टी है, वो एंटी-एबॉर्शन है. एंटी-गे मैरिज है (समलिंगी संबंधों के खिलाफ है). यानी जैसे यहां अपने देश में लोग दुहाई देते हैं कि लड़कियों को बाहर निकलकर जॉब नहीं करनी चाहिए, पति का या परिवार के पुरुष का कहा मानकर रहना चाहिए, पुरुष को एकदम मर्दाना और घर का कमाऊ होना चाहिए, कुछ वैसा ही इनका भी स्टैंड है. ये भी कहते हैं कि जो ट्रेडिशनल रोल्स रहे हैं हैं, उनको निभाना चाहिए. इसी वजह से अधिकतर रिपब्लिकन एबॉर्शन के भी खिलाफ हैं. जो स्टेट रिपब्लिकन पार्टी के कंट्रोल में हैं, वहां पर इस तरह की विचारधारा काफी हाईलाईट हो रही है. रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच अंतर और इनकी आइडियोलॉजी भी एक्सप्लेन करेंगे, लेकिन वो किसी और आर्टिकल में.  

 

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