बीवियों के साथ क्रूरता करने वाले अब बच नहीं पाएंगें
सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे लोगों का काम लगा दिया है.
राधिका को उसका पति रोज पीटता था. उसकी सास भी उसे बुरी तरह मारती थी. उसके सुसरालवाले, उसे अपने घरवालों से पैसे मांगने पर मजबूर करते थे. एक दिन राधिका ने फैसला ले लिया, अपने सुसरालवालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का. उसके शरीर पर चोटों के निशान एकदम साफ थे. वो पुलिस स्टेशन गई और शिकाकत दर्ज करवाई. उसे लगता था कि पुलिस करवाई करेगी और उसके सुसरालवालों को गिरफ्तार कर लेगी, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ.
दरअसल, हमारे देश में औरतों को दहेज उत्पीड़न और घरेलु हिंसा से बचाने के लिए कई कानून बनाए गए हैं, पर साथ ही उससे बचने के लिए काफी प्रावधान भी मौजूद हैं. वो इसलिए ताकि कोई महिला किसी बेगुनाह को झूठे केस में न फंसाये.
इसलिए पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने 'परिवार कल्याण समिति' बनाने का निर्देश दिया था. ये असल में तीन लोगों की एक कमेटी थी. इसका काम था हर उस केस की जांच करना जिसमें औरतों के खिलाफ उनके सुसरालवालों ने क्रूरता की होती है. इस कमिटी का काम सारे सबूतों के बिनाह पर एक रिपोर्ट तैयार करना होता है. उसी रिपोर्ट के आधार पर पुलिस सुसरालवालों को गिरफ्तार कर सकती है. अब इसमें एक दिक्कत आती थी.
इस एक महीने के अंदर, लोग अपने बचने के सारे जुगाड़ लगा लेते थे. पहले से बेल लेकर रखते थे या पैसे खिला देते थे. नतीजा ये होता था कि पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाती थी.
कई लोगों ने इस प्रावधान का फायदा उठाया और बच निकले. ये सब सुप्रीम कोर्ट ने देखा, पर अब ऐसे लोगों पर गाज गिरने वाली है.
कोर्ट ने 'परिवार कल्याण समिति' को खारिज कर दिया है. मतलब अब इनका कोई काम नहीं. पुलिस को इनकी रिपोर्ट के लिए एक महिना इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा. सही सुबूतों और मैजिस्ट्रेट के निर्देश पर वो सुसरालवालों को गिरफ्तार कर सकती है. अब ऐसे लोगों के पास बचने के लिए न समय होगा न प्रावधान.
बढ़िया है. हालांकि ये फैसला सिर्फ 498 A के मामलों से जुड़ा है.
अब 498 A क्या होता है?
इस सेक्शन के मुताबिक, अगर कोई पति या उसके परिवारवाले, किसी महिला के साथ क्रूरता करते हैं, तो उनको तीन साल तक की जेल हो सकती है. साथ ही जुर्माना भी भरना पड़ सकता है.
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