रेप की खबरों के बाद जिस आश्रम से 41 लड़कियों को छुड़ाया गया, वो अब भी चल रहा है
चल भी रहा है पेरेंट्स की मानें तो लड़कियों को ड्रग्स भी दे रहा है.
पूजा (बदला हुआ नाम) अपने पैरेंट्स के साथ हरियाणा के जिंद में रहती थी. कुछ दिनों पहले, 25 सितंबर को वो रोहतक आई और यहां से चली गई बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रम. वही बाबा, जो इस वक्त फरार है. बाबा और उनके सो कॉल्ड 'आध्यात्मिक विश्वविद्यालय' यानी आश्रम की कहानी भी बताएंगे. लेकिन अभी पूजा की कहानी जान लीजीए.
24 साल की हैं पूजा. उनके पैरेंट्स की मानें तो उन्हें टीबी है. इसी के इलाज के लिए ही वो रोहतक गई थीं. लेकिन वापस घर नहीं लौटीं. और रोहिणी के विजय विहार के 'आध्यात्मिक विश्वविद्यालय' चली गईं. पूजा के पैरेंट्स को 26 सितंबर के दिन आश्रम से कॉल गया था. जिससे उन्हें पता चला कि उनकी बेटी आश्रम में है. वे लोग अपनी बेटी से मिलने आश्रम पहुंचे. साथ घर वापस चलने के लिए कहा, लेकिन पूजा ने साफ मना कर दिया. कहा कि अब वो घर नहीं जाएगी. पैरेंट्स को ये बात अजीब लगी.
उनका कहना है कि वे लोग पहले आश्रम जाते थे, बाबा को मानते थे. लेकिन अब नहीं. क्यों? क्योंकि पिछले साल दिसंबर में बाबा के गलत कामों का भंडा फोड़ हो गया था. तब से पूजा के पैरेंट्स ने आश्रम जाना ही बंद कर दिया. अब उनकी बेटी उसी आश्रम में रह रही है. पूजा के पिता बताते हैं कि जब वो अपनी बेटी से मिले, तो उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि उसे ड्रग्स दिया गया है. और उसका ब्रेन वॉश किया गया है. क्योंकि वो बार-बार एक ही बात दोहरा रही थी. यही कि घर नहीं जाएगी.
पूजा के माता-पिता ने संपूर्णा एनजीओ से भी मदद मांगी. एनजीओ वाले भी पूजा से मिलने गए. पूजा ने उनसे भी यही कहा कि वह अपने घर नहीं जाना चाहती, आश्रम में खुश है. पूजा के पिता की मानें तो उनकी बेटी ने एक एनजीओ को एक चिट्ठी भी दी है. उसमें कहा है कि वो अब घर नहीं जाना चाहती, आश्रम में ही रहेगी और उसके पैरेंट्स उसे ऐसा करने से रोक नहीं सकते.
बेटी की बात सुनकर पूजा की मां रो दीं. तब भी पूजा पर कोई फर्क नहीं पड़ा. साफ कह दिया कि अगर मां ऐसा ही करते रहेगी तो वो उनसे बात नहीं करेगी. आश्रम वालों को भी बोल देगी कि मां से बात न कराई जाए. पूजा के पैरेंट्स ने एक बार फोन पर भी अपनी बेटी से बात की. तब पूजा ने बताया कि आश्रम में 400 लड़कियां रहती हैं.
एक और हैरान करने वाली बात मालूम चली है. वो ये कि संपूर्णा एनजीओ ने दावा किया है कि 5 अक्टूबर को उन्हें एक आरटीआई जैसा डॉक्यूमेंट मिला है. आश्रम की तरफ से. जिसमें ये सवाल किया गया है कि पूजा के पैरेंट्स आश्रम क्यों आए थे? और लिखा है कि पूजा को उसके पैरेंट्स और रिश्तेदारों से खतरा है. ये बात जब पूजा के पैरेंट्स ने उससे पूछी, तब उसने बताया कि उसने किसी भी कागज पर साइन नहीं किए हैं और न तो वो किसी वकील को जानती है. और भी चौंकाने वाली बात ये है कि ये डॉक्यूमेंट देखने में पूरी तरह से फेक लगता है. न कोई स्टैंप लगा है और न ही कोई सरकारी मुहर.
अब ये समझ नहीं आ रहा है कि एक रात में पूजा के साथ ऐसा क्या हुआ कि वो अब अपने घर वापस नहीं जाना चाह रही. इस 'आध्यात्मिक विश्वविद्यालय' के बारे में और इस घटना के बारे में ठीक से जानने के लिए आपको आश्रम की हिस्ट्री के बारे में जानना होगा. जो कुछ ऐसी है-
- वीरेंद्र देव दीक्षित खुद को आध्यात्मिक गुरू बताता है. उसके कई आश्रम हैं. दिल्ली में रोहिणी में आश्रम है. यूपी के बांदा, फर्रुखाबाद, राजस्थान, कोलकाता और नेपाल में भी आश्रम हैं. इन्हीं आश्रमों का नाम है 'आध्यात्मिक विश्वविद्यालय'.
- ये आश्रम इतनी बुरी तरह से पैक हैं कि अंदर कौन-कौन है, बाहर वाला बंदा नहीं जान सकता. यानी की पूरी तरह से पैक. रोहिणी में जो आश्रम है, उसके दरवाजे, खिड़कियों पर जाली लगी हैं. यानी कि कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता.
- अब हुआ क्या कि दिल्ली पुलिस को पिछले साल नवंबर में एक शिकायत मिली. इससे पहले भी मिली थी, लेकिन इस शिकायत के बाद कार्रवाई शुरू हुई. शिकायत एक महिला ने की थी, आश्रम के खिलाफ और बाबा के खिलाफ.
- बाबा के ऊपर आरोप लगा कि वो आध्यात्मिक ज्ञान देने के नाम पर लड़कियों को आश्रम में रखता है. कैद कर देता है और फिर उनका रेप करता था.
- 21 दिसंबर 2017, के दिन रोहिणी के आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में पुलिस ने छापा मारा. 41 लड़कियों को छुड़ाया गया. केस सीबीआई को मिल गया.
- बाबा वीरेंद्र अभी फरार है. उसकी तलाश तो हो रही है, लेकिन कुछ अता-पता नहीं है.
- जब ये केस सामने आया तो हाई कोर्ट ने कहा कि लड़कियों को इस तरह से कैद करके नहीं रखा जा सकता. लेकिन अभी भी आश्रम हर जगह से बंद है.
- पूजा के पैरेंट्स ने बताया कि स्वाति ने उनसे फोन पर कहा कि उसे बाहर जाने की परमिशन नहीं है. अगर उसे कही जाना होता है, तो वो आश्रम में ही घूम लेती है.
- पूजा के केस में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. इस तरह के आश्रम को बंद न करना भी दुर्भाग्यपूर्ण है.
- स्वाति ने कहा, 'मैं बहुत शर्मिन्दा हूं कि हम ऐसे देश में रहते हैं जहां महिला आयोग अंदर भी जाता है, इतना बड़ा एक्सपोज़ करता है. लेकिन अभी तक ना तो बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित को पकड़ा है, न ही आश्रम बंद किया गया. उसका आश्रम भी वैसे का वैसा चल रहा है. क्यों CBI इस बाबा को पकड़ नहीं पाई? कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार भी लगायी थी. आश्रम को बंद क्यों नहीं किया गया है? हम स्वाति के केस में कार्यवाही करेंगे. आश्रम को बंद करना चाहिए.'
- अब इस केस को एक साल हो गए हैं. सीबीआई ने रोहिणी आश्रम में रहने वाली 59 महिलाओं के खिलाफ जांच पूरी कर ली. और 5 अक्टूबर को रोहिणी कोर्ट में चार्जशीट सौंप दी है. इसमें इन महिलाकर्मियों पर साजिश करने का आरोप लगा है. साथ ही गैरकानूनी रूप से जमा होकर सरकारी कर्मचारियों के काम में रुकावट डालने का आरोप भी लगा है.
ये सारे सवाल जिनके जवाब मिलने बाकी हैं
- पिछले साल दिसंबर में आश्रम का काला-चिट्ठा सामने आया था और अब पूजा का केस आ गया. इससे कुछ गंभीर सवाल खड़े होते है. पहला, कि जिस आश्रम से 41 लड़कियों को छुड़ाया गया था, आखिर उस आश्रम को बंद क्यों नहीं किया गया? एक फरार बाबा के आश्रम में इतनी औरतें कैसे रह रही हैं?
- दूसरा, अगर आश्रम को बंद नहीं किया गया, तो अंदर रह रही लड़कियों और पूजा जैसी नई लड़कियों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी कौन ले रहा है?
- तीसरा, आश्रम के नाम पर जेल क्यों चलाया जा रहा है? और क्या भगवान के उपदेश के नाम पर ऐसी बातें सीखाना कि लड़कियां अपने माता-पिता से मिलना ही ना चाहें, उनसे बात ना करना चाहें. सही है?
- और आखिरी सवाल, क्या पूजा के माता-पिता जैसे लोगों की मदद करने के लिए पुलिस कोई कार्रवाई करेगी?
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